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आज वसंत पञ्चमीको दिन विद्या तथा कला की देवी सरस्वतीको पूजा वंदना गर्दा भनिने केहि प्रमुख मंत्रहरु :
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमाम् आद्यां जगद्व्यापिनीम्।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌॥
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीम् पद्मासने संस्थिताम्‌।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥
सरस्वती माया दृष्टा वीणापुस्तकधारिणी।
हंसवाहनसंयुक्ता विद्यादानं करोतु मे॥१।।

प्रथमं भारती नाम द्वितीयं च सरस्वती।
तृतीयं शारदा देवी चतुर्थं हंसवाहिनी॥२।।

पञ्चमं तु जगन्माता षष्ठं वागीश्वरी तथा।
सप्तमं चैव कौमारी चा‌‌‍‍‍‌ऽष्टमं वरदायिनी॥३।।‌‍‌‌

नवमं बुद्धिदात्री च दशमं ब्रह्मचारणी।
एकादशं चन्द्रघण्टा द्वादशं भुवनेश्वरी॥४।।

द्वादशैतानि नामानि त्रिसन्ध्यं यः पठेन् नरः।
जिह्वाग्रे वसते तस्य ब्रह्मरूपा सरस्वती॥५।।
या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणी, विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु में सदा।
ॐ ह्रीं श्रीं सरस्वत्यै नमः।
ॐ ऎं सरस्वत्यै ऎं नमः।।
ॐ सरस्वती मया दृष्ट्वा, वीणा पुस्तक धारणीम्।
हंस वाहिनी समायुक्ता मां विद्या दान करोतु में ॐ।।
सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने।
विद्यारूपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोस्तुते।।
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